विद्यालय पत्रिका सांगरी दर्पण पर आपका स्वागत है। आप यहां तक आए हैं तो कृपया अपनी राय से जरूर अवगत करवायें। जो जी को लगता हो कहें मगर भाषा के न्यूनतम आदर्शों का ख्याल रखें। हमने टिप्पणी के लिए सभी विकल्प खुले रखें है अनाम की स्थिति में अाप अपना नाम और स्थान जरूर लिखें । आपके स्नेहयुक्त सुझाव और टिप्पणीयां हमारा मार्गदर्शन करेंगे। कृपया टिप्पणी में मर्यादित हो इसका ध्यान रखे। यदि आप इस विद्यालय के विद्यार्थी रहें है तो SANGRIANS को जरूर देखें और अपना विवरण प्रेषित करें । आपका पुन: आभार।
त्याग निश्चय ही आपके बल को बढ़ा देता है आपकी शक्तियों को कई गुना कर देता है आपके पराक्रम को दृढ कर देता है वही आपको ईश्वर बना देता है!वह आपकी चिंताएं और भय हर लेता है आप निर्भय तथा आनंदमय हो जाते हैं!
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