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बड़ागांव सांगरी का इतिहास


बड़ागाव 
बड़ागाव का एतिहासिक महत्त्व है ! सांगरी रियासत के नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आदोलन से जुड़ा रहा है ! जनवरी 1946 मे स्थापित हिमालयन हिल स्टेट रीजनल कोंसिल की शिमला मे 10 जून 1947 को बैठक मे मतभेद हो गए थे ! 6 सदस्यों ने अपना एक अलग संगठन बनाया जिसका नाम हिमालयन हिल स्टेट सब कोंसिल रखा गया ! जुलाई 1947 में सांगरी रियासत में चिरंजी लाल वर्मा ने प्रजामंडल की स्थापना की जिसमे नर सिंह दास,    उत्तम राम मेहता, परमा नन्द ठाकुर, केवल राम और गाव बरेड़ी, बड़ागाव,  शिवान, बनाहर, कांगल, कोटिघाट और सांगरी के अनेक आन्दोलनकारी शामिल हुए ! 1 अगस्त 1947 को चिरंजी लाल वर्मा की अध्यक्षता मे अस्थाई सरकार लोक राज्य सरकार की स्थापनां हुई ! चिरंजी लाल वर्मा ने शिमला से नोकरी छोड़ कर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था ! 21 दिसम्बर 1947 को सांगरी रियासत की राजधानी बड़ागाव मे समेलन हुआ ! इस समेलन मे पहाडी रियासतों को मिला कर एक पहाडी प्रान्त बनाने की मांग रखी गई ! 8 मार्च 1948 को शिमला हिल्स की 27पहाडी रियासतों के विलय से हिमाचल प्रदेश के गठन की प्रक्रिया आरम्भ हुई थी ! हिमालयन हिल स्टेट सब रीजनल कोंसिल परमार पदमदेव धडा ने हिमालयन प्रान्त का नाम सुझाया था !


सांगरी रियासत मौलिक रूप से बुशैहर का भाग था लेकिन करीब सन 1703 के लगभग कुल्लू के राजा मान सिंह ने इस्हे हासिल किया था लेकिन उसके कब्जे में सन 1719 तक रहा, सन 1719 में मान सिंह की मौत के बाद इस्हे बुशहर ने अपने कब्जे में कर लिया

1803 में इस्हे नेपाल के गोरखा द्वारा कब्जे में लिया गया था जब 1841 में कुल्लू हड़प लिया था तब कुल्लू के राजा ठाकुर सिंह लगातार नाम के राजा थे और सांगरी मियां जग्गर सिंह के अधीन थी

सांगरी रियासत के शासक :-

  • राजा विक्रम सिंह(1816) कुल्लू के राजा थे , राजा विक्रम सिंह की सितम्बर/अक्टूबर 1816 को मृत्यु हो गई.

  • राजा अजीत सिंह  (1816- 1841 ) का राजा अजीत सिंह 19 दिसंबर 1810 में  पैदा हुए, कुल्लू के अंतिम स्वतंत्र राजा थे , पहली शादी मियां हीरा सिंह की भतीजी रानी कटोचनी से की, दूसरी शादी कोंथली रानी से की , .जिनका निधन सितम्बर 1841 को सांगरी मे हुआ ।

  • ठाकुर रणबीर सिंह (1841/1842 ), 1842  में जवान मारे गए.

  • ठाकुर जगत सिंह [मियां जग्गर सिंह] (1842/1876 ), कुल्लू के राजा प्रीतम सिंह का चौथा बेटा था , राजा अजीत सिंह की मौत के बाद उत्तराधिकार मियां जग्गर सिंह को दिया गया अंधा होने के कारण बाद में उनके सबसे बड़े पुत्र को चुना गया 1846 में जब कुल्लू पर कब्जा कर लिया था तब सांगरी इनके कब्जे में थी , उनका 1876 को निधन हो गया.

    • ठाकुर रणवीर सिंह


    • राय मियां हीरा सिंह

      • मियां संसार सिंह1851 को जन्म हुआ


      • मियां लाल सिंह, 1872 को जन्म हुआ.

      • मियां केस्हरी सिंह, 1888 को जन्म हुआ.

    • मियां हरि सिंह [प्रताप सिंह]

  • राय मियां हीरा सिंह1876/1927, राय मियां हीरा सिंह 24 फ़रवरी 1849 को जन्मे , राय मियां हीरा सिंह को राजा अजीत सिंह की वरिष्ठ रानी द्वारा 30 सितंबर1876 को अपनाया गया था , वह राजा अजीत सिंह की मौत पर वरिष्ठ रानी द्वारा उसकी सोराज की जागीर राय मियां हीरा सिंह को दी गयी 1887 में मियां हीरा सिंह ,को पैतृक नाम राय से जोड़ा गया राय मियां हीरा सिंह ने मंडी की दो बहनों के साथ शादी की उनका 15 मार्च 1927 को निधन हो गया.

    • मियां धरम सिंह, 1882 जन्म हुआ.

    • राय मियां रघुवीर सिंह

    • मियां श्याम सिंह (2 रानी के साथ शादी की ), 1909 को जन्म हुआ सन् 1961 को उनका निधन हो गया.


      • राय मियां दिग्विजय सिंह

      • कुमारी सीता देवी ने कुमारसेन के सुरेन्द्र सिंह राणा से शादी की

      • मियां वीरभद्र सिंह, जुलाई 1947 को जन्म हुआ

    • मियां राम सिंह

    • राजकुमारी लक्ष्मी देवी [बग़ल की रानी लक्ष्मी देवी], बग़ल के राजा सुरिंदर सिंह से शादी की जिनके छह बच्चों थे

    • कुमारी (नाम अज्ञात), ने बुशहर के राजा पदम सिंह. से शादी की

    • कुमारी (नाम अज्ञात), नालागढ़ के एक कंवर साहब से शादी की


  • राय मियां रघुवीर सिंह 1927/1962, 1908 को जन्म हुआ, पहली शादी कोटखाई के राणा जय सिंह और उनकी पत्नी रानी कमला देवी की बेटी रानी सरस्वती कुमारी से की, दूसरी शादी रानी शादा देवी से की,जोकि खनेटी के ठाकुर अमोग चंद की बेटी थी . 1962 में राजा रघुवीर सिंह की मृत्यु हो गयी

  • राय मियां दिग्विजय सिंह 1962/1990 , 1955 को राय मियां दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ,उन्होंने कोटगढ़ के ठाकुर प्रताप सिंह की बेटी रानी दयावती कुमारी से शादी की उनकी दो बेटियाँ थी .

    • कुमारी कुमारी समृति

    • कुमारी कुमारी समृद्धि

1990 को राय मियां दिग्विजय सिंह का निधन हो गया

शासक:-

शासक की संतान:-

शासक की संतान की संतान:-


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बुधवार, अगस्त 03, 2011 8:09:00 am

बहुत अच्छा

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